सांभर झील (Sambhar Salt Lake) राजस्थान।आखिर क्‍या है हजारों प्रवासी पक्षियों की रहस्‍यमय मौत की वजह

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सांभर झील (Sambhar Salt Lake) राजस्थान।आखिर क्‍या है हजारों प्रवासी पक्षियों की रहस्‍यमय मौत की वजह

sambar lake

प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर कि हमारे देश में कहीं बर्फीली और हसीन वादियां हैं तो कहीं हरे-भरे पहाड़ और कहीं विशाल रेगिस्तान में कि भारत में घनघोर जंगलों से लेकर खूबसूरत झीलों और झरनों समेत वह सब दिलकश नजारे मौजूद हैं जिन्हें देखने की चाह में दुनिया भर से साल भर पर्यटक भारत आते रहते हैं कि घूमने फिर ना सिर्फ इंसानों को ही नहीं परिंदों को भी पसंद होता है इसीलिए हर साल जब आर्ट एक और उत्तरी-ध्रुव क्षेत्र में हाड़ कपा देने वाली असहनीय ठंड पड़ती है और पानी बर्फ में तब्दील हो जाता है तो कई पक्षियों की प्रजातियां फुल सर्द हवाओं से बचने और भोजन की तलाश में भारत का रुख करती हैं ऐसे ही दुनिया के दक्षिणी हिस्से में जब भयंकर गर्मी पड़ती है तो इससे बचने के लिए भी पक्षियों की कई प्रजातियां भारत में शरण लेते हैं कि अ कि पंजाब में एक प्रवासी पक्षियों की चहचाहट और कलर से वीरान इलाका भी गुलजार हो जाता है मैं जयपुर की सांभर झील भी इन देशी-विदेशी पक्षियों का एक ठिकाना मानी जाती है लेकिन सांभर झील में इसलिए कुछ दिनों में तकरीबन 20 हजार से भी ज्यादा प्रवासी पक्षियों के मृत पाए जाने से इलाके के लोगों से लेकर पर्यटक पक्षी प्रेमी और प्रशासन सब परेशान है और पक्षियों की मौत का सिलसिला रोक के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं सांभर झील देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारे पानी की झील जिसे राजस्थान की सॉर्ट लेख भी कहा जाता है जयपुर नागौर अजमेर जिलों में फैली हुई है इस झील में चार नदियां रूपनगढ़ में थारी और खंडेला करती हैं कहा जाता है कि अरावली के विशिष्ठ और ना इसकी करते में भरा हुआ का ही नमक का स्रोत है कि घास में स्थित विला सीन सोडियम जो कि बारिश के पानी के साथ मिलकर नदियों के जरिए झील में पहुंचता है और जल के वाष्पन की बात छील में नमक के रूप में रह जाता है फोन लगाना पानी से भरे रहने पर इस झील का फैलाव तकरीबन नवयुवक किलोमीटर तक का हो जाता है

इस झील से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है हार रेगिस्तान का उपहार माने जाने वाले इस झील के हर जेब नमक कि बड़े-बड़े टीले दिखाई देते हैं दरअसल इस झील की लवणीय पानी को क्यारियों में सुखा कर इन्हें नमक बनाया जाता है राजस्थान में स्थित सांभर ही में उत्तम किस्म की नमक का उत्पादन होता है नमक की निर्माण का काम मुख्य तौर पर सांभर साल्ट्स लिमिटेड नाम की एक सरकारी कंपनी करती है नमक के अलावा यह झील पक्षी प्रेमियों के बीच बेहद मशहूर है है क्योंकि यहां 100 से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं थे

लेकिन इस साल सांभर झील का इलाका बर्ड वॉचर के लिए बुरे सपने की तरह साबित हुआ एक साथ इतने सारे बेजबान परिंदों की मौत ने हर किसी को परेशान कर दिया [संगीत] की जांच की गई तो पता चला कि पक्षियों की मौत evion लौटोलिम बीमारी से हुई है कि मामला राजस्थान और उसके आसपास तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि संसद में भी उठा था है दरअसल जानकारों का मानना है कि इस बार ज्यादा बारिश से करीब 20 साल बाद झील लबालब भर गई और नए तक बन गए धीरे-धीरे पानी – तो तटों पर खारापन बढ़ गया छिछले पानी में सूक्ष्म जीव विषैले होकर मर लगे इनको खाते ही पक्षियों की सांस घुटने लगी शब्दों में कीड़े पड़े चिन्ह खाने के बाद मौतों का आंकड़ा बढ़ता चला गया प्रशासन का भी कहना है कि शुरुआत में पक्षियों की मौत की वजह प्रतिकूल परिस्थितियां मानी गई नवंबर की दस तारीख को जब प्रशासन को पता चला तब राहत और बचाव कार्य के लिए काम शुरू किया गया पक्षियों की मौत की तादाद इतनी बड़ी थी कि सांभर चीर देश में पक्षियों की अब तक की सबसे बड़ी सामूहिक कब्र बन गई हालांकि प्रशासन ने आनन-फानन में जो हो सका वह इंतजाम किए स्थानीय प्रशासन की टीम ने सांभर सीबीएसई सैंपल लेकर भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च आयोग पशु रोग संस्थान को भेजे थे वहां की रिपोर्ट के मुताबिक एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है

इसलिए फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं बताया गया लेकिन शुरुआती दिनों में बीमारी की वजह पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है में प्रशासन का सहयोग करने के लिए पक्षी प्रेमी संगठन भी यहां काम कर रहे हैं यहां पक्षियों को इंजेक्शन या ड्रिप लगा कर उपचार किया जा रहा है तो अस्थाई icu में भी डॉक्टर घायल परिंदों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं हालांकि अभी तक नर्सरी में दाखिल किए गए पक्षियों में से करीब पचास फ़ीसदी की मौत हो चुकी है लेकिन राहत की बात यह है कि बाकी को बचाया भी जा सकता है के दर्शन नर्सरी में अतिगंभीर पक्षियों के लिए अलग इंतजाम किए गए हैं और थोड़ा बेहतर होने पर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है लेकिन हर जगह उनकी पूरी देखभाल की जा रही है पक्षियों की हालत बेहतर हो जाने पर उन्हें रतन तालाब स्थित इस जगह पर 24 घंटे की निगरानी में बड़े पिंजरे में रखा जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है प्रशासन के लोग सांभर झील में बीमार और व्यक्तियों को निकालकर पास ही खाली स्थान पर झाला रहे हैं ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके सांभर झील में दम तोड़ रहे पक्षियों की मौत की वजह भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली से हाल ही में आई जांच रिपोर्ट में सामने आई जिसमें इवन पोर्टल जम नाम की बीमारी को इनका जिम्मेदार माना गया है है हालांकि बीकानेर के वेटरनरी कॉलेज की रिपोर्ट में भी इस बीमारी का जिक्र पहले ही किया गया था इस बीमारी से राजस्थान की सामर्थ जेल में 20,000 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है तो कि राजस्थान की सांभर झील में देश में अब तक की इस सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी में पक्षियों की मौत का कारण मेकर्स कीड़े को बताया जा रहा है इस किले से फैलने वाली एवरीवन वॉल्यूम बीमारी पक्षियों की मौत की वजह है बीमारी वाला कीड़ा मेकर्स खाने से पक्षियों में लक जैसे हालात बन गए पानी में डूबने और जमीन पर पड़े पड़े ही पक्षों ने दम तोड़ दिया एवरीवन व्हो स्टोलेन कार जीवाणु फैलने के कारण सभी पक्षों में की बीमारी तेजी से फैल गई क्योंकि सांभर झील में आने वाले अधिकांश पक्षी मांसाहारी हैं विष्णु खाने के बाद पक्षी लकवाग्रस्त हो गए थे दरअसल एवरीवन बट टूरिज्म पक्षों के बीच बेहद खतरनाक बीमारी है इसका बैक्टीरिया क्लॉस्ट्रीडियम वॉल्यूम ज़मीन में पाया जाता है इस बैक्टीरिया को ना तो बहुत ज्यादा तापमान खत्म कर सकता है ना ही मौसम में रूखापन और ना ही खारा पानी बैक्टीरिया को बढ़ने के लिए जरूरी है प्रोटीन इसलिए वातावरणों में प्रोटीन के कोई भी स्रोत मौजूद रहने पर इसके खत्म होने की उम्मीद कम ही रहती है तो कि की बीमारी और दूसरे देशों में भी हुई है अमेरिका और इटली में भी यह बीमारी हो चुकी है और बड़ी तादाद में पक्षियों की मौत हुई है जानकारी के अनुसार 1910 में अमेरिका की उठा और कैलिफोर्निया प्रांत में एक साथ तकरीबन 10 लाख से ज्यादा जलीय पक्षियों की मौत हुई थी ऑस्ट्रेलिया में तो evion वॉल्यूम करीब हर साल होता है हल्की इससे निपटने का एक ही रास्ता है कि मरे हुए पक्षी के शरीर को नष्ट कर दिया जाए जिससे यह बीमारी दूसरे पक्षियों में ना पहले दरअसल यह बीमारी ज्यादातर मांसाहारी पक्षियों में ही होती है कि चीन को टूरिज्म का खतरा अभी टला नहीं है सा मंजिल के जयपुर से सटे इलाके में इस बैक्टीरिया की मार कम हुई तो अब नागौर जिले के इलाके में बैक्टीरिया से पक्षियों की मौत का सिलसिला जारी है कि चीन वॉल्यूम को लेकर विशेष के पहले ही चेता चुके हैं कि झील में एक भी मृत पक्षी मौजूद रहा तो वॉल्यूम का खतरा और पक्षियों के मरने का सिलसिला जारी रहेगा ऐसे में झील के दूसरे हिस्सों में ज्यादा मृत पक्षी अभी मौजूद है तो साफ है कि वाटरिंग को अभी काबू में नहीं लाया जा सका है ऐसे में झील के दुर्गम क्षेत्रों में ऑपरेशन तेल तो फिर से गति देनी होगी नहीं तो इसका खामियाजा तेज सर्दी में आने वाले पक्षियों को भी उठाना पड़ सकता है स्थानीय लोगों का मानना है कि सांभर झील में हो रही पक्षियों की मौतों की वजह प्रशासनिक लापरवाही भी है मेरे सांभर झील में अभी तक कोई ऐसी त्रासदी सामने नहीं आई थी जिसके चलते पक्षियों के लिए विशेष इंतजाम की जरूरत थी प्रशासन का भी मानना है कि भविष्य में इस तरह की त्रासदी से बचने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया बनाई जाए और लुट भारत में कई मुक्त ठिकाने हैं जहां आकर यह सुंदर परिंदे बसते हैं [संगीत] कि इन परिंदों को देखने के लिए भारत समेत दुनिया भर से वर्ल्ड वाउचर अभयारण्य में पहुंचते हैं प्रवासी पक्षियों को दो वर्गों में बांटा जाता है

एक सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षी दूसरे गर्मियों में आने वाले प्रवासी पक्षी सबसे ज्यादा पक्षी सर्दियों में ही आते हैं हैं सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद अब देश के दूसरे हिस्सों में भी आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है कि पक्षियों का प्रवास वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से उत्सुकता का विषय रहा है लेकिन इस साल साल भर में हुई पक्षियों पर त्रासदी ने सभी के माथे पर शिकन डालती है

नवंबर का महीना पक्षियों के लिए एक तरह से शुरुआती समय है क्योंकि इन प्रवासी पक्षियों का आम तौर पर फरवरी महीने तक भारत में बसेरा रहता है अगर समय रहते पक्षियों को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए तो मौजूदा स्थिति पक्षियों के लिए प्रतिकूल होगी इतना ही नहीं अगर पक्षियों की मौत का सिलसिला नहीं थमा तो कई विलुप्त होती प्रजातियों पर भी इनका खतरा है

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