Asthma Diseases

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Asthma Diseases

दमा रोग एक फेफड़ों संबंधी बीमारी है जिसमें श्वसन की नलिकाओं में सूजन हो जाती है और उनमें अधिक फ्लैट मौजूद हो जाता है जिससे श्वसन की प्रक्रिया में बाधा आती है। यह रोग उन लोगों में अधिक होता है जो धूल और धुएं के अधिक प्रदूषित इलाकों में रहते हैं और जिनकी जिंदगी में तंबाकू का सेवन या विषाक्त पदार्थों का संपर्क ज्यादा होता है। इस रोग के लक्षण में सांस लेने में तकलीफ, सांस फूलने जैसा लगना, छाती में दर्द या बंद नसल शामिल हैं।

 Asthma Diseases कैसे होता है।

दमा रोग की वजह एक संदिग्ध प्रकार के प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रिया होती है जो फेफड़ों में होती है। इसमें फेफड़ों की नलिकाओं में सूजन हो जाती है और फ्लैट (बलगम) बढ़ जाता है जो श्वसन प्रक्रिया को बाधित करता है। इसकी वजह से श्वसन तंत्र में कमी आती है जो सांस लेने में तकलीफ का कारण बनती है।

यह रोग व्यक्ति के जीवनशैली पर भी निर्भर करता है। धुएं और धूल के प्रदूषण से भरे इलाकों में रहने वाले लोग, जो तंबाकू का सेवन करते हैं या विषाक्त पदार्थों से संपर्क में आते हैं, इस बीमारी के लिए अधिक प्रवृत्त होते हैं। इसके अलावा थकान, तनाव, सर्दी जुकाम या विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन भी इस रोग को बढ़ावा देते हैं।

Asthma Diseases कितने प्रकार का होता है।

दमा रोग कई प्रकार का होता है। ये निम्नलिखित होते हैं:

  1. अलर्जी से संबंधित दमा – इसमें श्वसन तंत्र अलर्जी के कारण संक्रमित होता है।
  2. अस्थमेटिक दमा – इसमें श्वसन तंत्र के नलिकाओं में सूजन होती है जो श्वसन की प्रक्रिया को बाधित करती है।
  3. व्यायाम से संबंधित दमा – इसमें श्वसन की नलिकाएं सुधार नहीं करती हैं जब शरीर व्यायाम के दौरान अधिक से अधिक ऑक्सीजन की मांग करता है।
  4. सामान्य दमा – इसमें श्वसन तंत्र की नलिकाएं सुधार नहीं करती हैं और श्वसन में दर्द या तकलीफ होती है।

इन प्रकारों के अलावा अन्य भी प्रकार के दमा होते हैं जो विभिन्न कारणों से होते हैं।

Asthma Diseases किन-किन कारणों से होता है।

दमा रोग कई कारणों से होता है। ये निम्नलिखित होते हैं:

  1. धूम्रपान – तंबाकू का सेवन दमा का मुख्य कारण होता है।
  2. प्रदूषण – वायु में धुले-सफ़े वायु की अभाव में प्रदूषण दमा का मुख्य कारण होता है।
  3. अलर्जी – विभिन्न चीजों जैसे पौधों के फूल, जंगली जानवर, कीटाणु आदि के संपर्क से अलर्जी दमा हो सकता है।
  4. रोग – सामान्य जुकाम, सिनसाइटिस, अस्थमा आदि रोग दमा के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
  5. वातावरण – ठंडी जलवायु, अधिक गर्मी, नमी आदि वातावरण के परिवर्तन दमा का कारण बन सकते हैं।

इसके अलावा अन्य भी कारण हो सकते हैं जैसे शारीरिक शोषण, अस्वस्थ खानपान आदि।

Asthma Diseases के क्या-क्या लक्षण होते हैं

दमा रोग के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:

  1. सांस लेने में तकलीफ – सांस लेने में मुश्किल होती है और फेफड़ों में सीधे खींचाव का अनुभव होता है।
  2. सांस लेने के दौरान श्वास फूलना – सांस लेने के दौरान श्वास फूलने की तकलीफ होती है।
  3. गुदामार्ग की सूजन – दमा रोग से पीड़ित व्यक्ति के गुदामार्ग में सूजन होती है जो पारंपरिक तरीकों से ठीक नहीं होती है।
  4. छाती में दर्द – दमा के मरीजों में छाती में दर्द होता है जो आमतौर पर सांस लेने के दौरान होता है।
  5. खांसी – दमा के मरीजों में लम्बे समय तक खांसी की समस्या होती है जो बार-बार होती है।

इन लक्षणों के अलावा दमा के मरीजों में सीने में भारीपन, सिरदर्द, थकान, सुबह जल्दी उठने में तकलीफ, नींद न आना आदि की समस्याएं भी हो सकती हैं।

Asthma Diseases बचाव एव उपचार

दमा रोग के उपचार कुछ निम्नलिखित हैं:

1.दवाइयों का सेवन – दमा के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं उपलब्ध होती हैं जैसे कि इंहेलर, नेबुलाइजर, स्टेरॉयड आदि।

2.जीवाश्मों से बचाव – दमा के मरीजों को जीवाणुओं से बचाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे धूल, धुएं और प्रदूषण से दूर रहें और अपने आसपास साफ़ और स्वच्छ रखें।

3.योग और प्राणायाम – दमा के मरीजों को योग और प्राणायाम करने से फायदा हो सकता है। योग और प्राणायाम करने से उनके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सांस लेने की क्षमता में सुधार होता है।

4.सही खानपान – सही खानपान दमा के मरीजों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे सेब, गाजर, आम जैसे फल और सब्जियां खाएं जो विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं।

5.नियमित व्यायाम – दमा के मरीजों के लिए नियमित व्यायाम बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे धीरे-धीरे शुरू कर सकते हैं और फिरवे धीरे-धीरे शुरू कर सकते हैं और फिर धीरे-धीरे अपनी व्यायाम की मात्रा बढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें कि अधिक शारीरिक गतिविधियां दमा के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसलिए, उन्हें अपने व्यायाम योजना को अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

6.ध्यान और मनशांति – ध्यान और मनशांति के अभ्यास दमा के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इससे उनकी स्थिति में सुधार होता है और वे स्वस्थ रह सकते हैं।

7.अल्कोहल और धूम्रपान से बचें – दमा के मरीजों को अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहना चाहिए। ये उनकी स्थिति को और भी खराब कर सकते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि दमा के उपचार को डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए। डॉक्टर आपकी स्थिति के आधार पर आपके लिए सही उपचार बताएंगे।

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