This poor boy made Hero Honda?
यह स्टोरी है 20 साल के एक ऐसे बच्चे की जो पार्टीशन के वक्त अपना सब कुछ छोड़ के भारत आया जो पैसों की कमी की वजह से एक वक्त पर दिन के सिर्फ ढ़ के लिए काम करता था लेकिन अपनी काबिलियत के दम पर जिसने टाटा और बजज जैसे बड़े-बड़े प्लेयर्स को भी हरा दिया आज 70 पर से ज्यादा बिजनेसेस सेकंड जनरेशन आने से पहले ही बंद हो जाते हैं ऐसे में उसने अपनी फैमिली के साथ मिलकर अपनी कंपनी का नाम पूरी दुनिया में फेमस कर दिया 50 Lakh के लोन से शुरू हुआ यह बिजनेस आज 72000 करोड़ का हो चुका है और आज इनकी कंपनी इंडिया में सबसे फेमस टू व्हीलर कंपनीज में फर्स्ट नंबर पर आती है
हम बात कर रहे हैं रो मोटर कॉप के फाउंडर मिस्टर ब्रिज मोहन लाल मुंजल जी की ब्रिज मोहन लाल जी का जन्म 1 जुलाई 1923 को उस टाइम के पंजाब के तोबा तेग सिंह डिस्ट्रिक्ट में एक छोटे से गांव कमालिया में हुआ था आज की डेट में यह जगह पाकिस्तान में है उनकी फैमिली एक एवरेज मिडिल क्लास फैमिली थी और वह चार भाइयों में सबसे छोटे थे इसी कारण बचपन से ही उन्हें पता था कि उनके ऊपर बहुत जिम्मेदारियां हैं अब साल 1929 में भारत में बहुत महामंदी चल रही थी क्योंकि यहां पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट ऑलमोस्ट बंद हो चुका था
जिसकी वजह से जो छोटे मैन्युफैक्चरर और किसान हैं उनकी हालत खराब हो गई थी जिसकी वजह से मुंजल फैमिली की भी फाइनेंशियल सिचुएशन खराब हो गई और ब्रिज मोहन लाल जी को 15 साल की एज में पढ़ाई छोड़नी पड़ी पैसों की कमी के कारण उन्होंने एक नौकरी करी जहां पर गन्ने के खेतों में जाकर उन्हें गन्ने के बंडल्स को काउंट करना पड़ता था इसके लिए उन्हें हर रोज धूप में खड़ा रहना पड़ता था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भी बंडल काउंट करने में मिस्टेक नहीं करी जिससे उनका सुपरवाइजर उनसे बहुत खुश था लेकिन इससे इनकी ज्यादा कमाई नहीं हो रही थी और इसके बाद उन्होंने एक फैक्ट्री में क्लर्क की जॉब स्टार्ट कर दी जहां उन्हें महज ₹1 पर डे के वेजेस मिल रहे थे 1942 में उन्होंने आर्मी कैंटीन स्टोर में ₹ पर डे के हिसाब से काम करना स्टार्ट कर दिया और इसी दौरान उनकी संतोष नाम की एक लड़की से शादी करवा दी गई 1944 में वो अमृतसर पंजाब शिफ्ट हो गए जहां पर वो साइकिल की रिपेयर करते हैं और उसके पार्ट्स को भी सेल करते हैं 1946 में काफी यूनिक इंसीडेंट हुआ दरअसल उस साल अमृतसर में भारी बाढ़ आई थी और इसी वक्त साइकिल की दुकानें बंद करनी पड़ी इसकी वजह से वहां पर बहुत चोरियां हुई जिसमें मुंजल ब्रदर्स की दुकान भी शामिल थी जहां पर बाकी सारे दुकानदार अपना सामान चोरी होने पर रो रहे थे वहीं पर मुंजल भाइयों ने यह पता लगाया कि चोर आए कहां से थे और चोरों का पीछा करते-करते वह आगरा तक चले गए और अपना मैक्सिमम सामान रिकवर भी कर लिया अब तक तो वो साइकिल के पार्ट ससी सेल करते थे लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि उन्हें असेंबली काम भी करना चाहिए जिसके लिए उन्होंने टीन के पथों का एक शर्ट बना दिया और उसके अंदर अपनी असेंबली लाइन स्टार्ट कर दी साल 1956 में पंजाब गवर्नमेंट की तरफ से उन्हें साइकिल बनाने का लाइसेंस इशू किया गया उस वक्त पूरे भारत में मुंजल भाई जैसे 128 साइकिल प्रोड्यूसर थे जिन्हें टोटल 2 लाख साइकिल बनाने का लाइसेंस मिला था मुंजल भाइयों को लगा कि ये नंबर बहुत ही छोटा है इसीलिए उन्होंने ये लाइसेंस लिया ही नहीं वो चाहते थे कि वो बहुत ज्यादा क्वांटिटी में साइकिल बनाए जिसके लिए वो सेंट्रल मिनिस्टर मनु भाई शाह को कन्वेंस करने दिल्ली चले गए इन्हें कन्वेंस करना तो बहुत मुश्किल था लेकिन मुंजल भाई भी कहां मानने वाले थे फाइनली उन्होंने मिनिस्टर साहब को कन्वेंस कर दिया जिसके बाद 1956 में ही 50000 का लोन लेकर उन्होंने अपनी पहली कंपनी को रजिस्टर करवाया और इस तरह 50000 के लोन के साथ शुरुआत हुई
इस महान कंपनी कंपनी ने पहले साल तो सिर्फ 639 साइकिल ही प्रोड्यूस करी लेकिन अगले साल ये नंबर बढ़कर 7803 पहुंच गया यानी 10 गुना से भी ज्यादा और 1961 में इन्होंने 31000 साइकिल्स बनाई सिर्फ इतना ही नहीं उन्हें पता था कि अगर वो साइकल्स बना रहे हैं तो अपने डीलर्स के साथ उन्हें रिलेशन भी अच्छे बनाने पड़ेंगे जब ओम प्रकाश जी हीरो के लिए डीलर्स ढूंढ रहे थे तब उन्हें कानपुर में एक डीलर मिले जिनका नाम था बलदेव बलदेव ने हीरो को 100 किट का ऑर्डर दिया था लेकिन जब बलदेव को ऑर्डर मिला तो उसके अंदर 104 किट्स थी जबकि पैसे सिर्फ 100 के ही लिए गए थे बलदेव जी को लगा कि जरूर मुंजल भाइयों से
(03:52) गलती हुई है और उन्होंने उनसे इसके बारे में बात करी बात करने पर ओम प्रकाश जी ने कहा कि नहीं हमने जानबूझकर 104 किट ही प्रोवाइड करी हैं सिर्फ इस इंसीडेंट की वजह से बलदेव जी 50 सालों तक हीरो के साथ बिजनेस करते रहे और इसी नेचर की वजह से एक साल के अंदर ओम प्रकाश जी ने 500 से भी ज्यादा डीलर्स को जोड़ लिया जिसकी वजह से वो उस टाइम के बड़े प्लेयर्स एटलस साइकल से भी आगे बढ़ गए मुंजल भाइयों को पता था कि आगे चलकर टेक्नोलॉजी ही उनकी मदद कर सकती है इसलिए वो हमेशा एडवांस मशीनरी के लिए फॉरेन कंट्रीज में ट्रेवल करते रहते एक बार जब वो जर्मनी गए तो वहां पर ₹ लाख में चेन बनाने का उन्होंने पूरा प्लांट खरीद लिया जिसके बाद देखते ही देखते 1968 में हीरो साइकिल्स ने 1.25 लख साइकिल्स बनाई इसके साथ-साथ 1963 में उन्होंने इंडोनेशिया केन्या ईरान इराक जैसी कंट्रीज में एक्सपोर्ट किए और सरकार से एक्सपोर्ट का लाइसेंस भी लिया 1986 में सबसे ज्यादा साइकिल प्रोड्यूस करके उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और साथ में इन्होंने मोपेड भी लॉन्च कर दी जो कि काफी बिकी साइकिल के बिजनेस को सक्सेस की ऊंचाइयों तक ले जाने के बाद उन्हें पता चल गया था कि इंडियन कस्टमर अब रेडी है टू व्हीलर्स के लिए लेकिन प्रॉब्लम ये थी कि उन्हें स्कूटर बनाने के बारे में कुछ भी नहीं पता था
उस वक्त भारत में टू व्हीलर्स के लिए कोई उतना कैपेबल नहीं था और ना ही कोई एडवांस टेक्नोलॉजी उस वक्त यहां पर थी इसलिए मुंजल जी ने फॉरेन कंपनी के साथ टाई अप करने का सोचा जिसके लिए उन्होंने उन कंपनीज को स्टडी करना स्टार्ट किया जो इंडियन मार्केट में एंटर करना चाहती थी सब कुछ स्टडी करने के बाद उनकी निगाहें जापान की honda’s को लो फ्यूल और मेंटेनेंस वाले स्कूटर चाहिए उसी वक्त लाल जी से मिले तब
हीरो के एक भी एंप्लॉई ने उनको घना तो दूर उनकी तरफ देखा भी नहीं वो सिर्फ अपने काम पर फुली फोकस थे जिससे को एक्सेप्ट कर लिया और 24th दिसंबर 1983 के दिन रो और honda.com हन लाल जी चाहते थे कि फैक्ट्री एयरपोर्ट के पास हो ताकि honda’s 1984 में hero2 cd1 लॉन्च करी जिसमें फोर स्ट्रोक इंजन था जिसकी वजह से ये एक एनवायरमेंट फ्रेंडली बाइक थी पहले ही साल इन्होंने सडी 100 के 40000 यूनिट सेल कर करें और 1996 में ये नंबर 2.7 लाख पहुंच गया शुरू में मुंजल जी चाहते थे कि बाइक का प्राइस ₹1000000 से कम हो इसलिए उन्होंने इसका प्राइस रखा 9990 लेकिन टैक्सेस और दूसरी चीजों की वजह से इसका प्राइस कुछ टाइम के बाद ₹1 कर दिया गया 995 में उन्होंने एक लेजेंड बाइक लॉन्च की जो कि आज भी बहुत से लोग उसे पसंद करते हैं आई होप इस बाइक का नाम आप समझ गए होंगे इस बाइक का नाम था स्लर जो कि hero2 में आते-आते रो जजह से आ गया है और 2010 में रो ने को एस्टेब्लिश करना है इसलिए रो के चेयरमैन पवन मुंजल जी ने इंजन डेवलपमेंट के लिए एवीएल के साथ और हाई एंड बाइक्स बनाने के लिए एरिक ब्यूल रेसिंग कंपनी के साथ टाइब किया सेकंड निसान के फॉर्मर एंप्लॉयज को उन्होंने हायर किया और जयपुर में अपना आर एनडी यूनिट स्टार्ट किया थ्री अपनी वर्कफोर्स को इंप्रूव करने के लिए उन्होंने इंडिया के अच्छे-अच्छे कॉलेजेस से यंग टैलेंटेड एंप्लॉयज को हायर करना स्टार्ट कर दिया फोर वो चाहते थे कि हीरो को लोग एक सिर्फ प्रोडक्ट के रूप में ना देखें
बल्कि उसे एक फीलिंग एक इमोशन के रूप में में देखें और इसीलिए उन्होंने ए आर रहमान जैसे बड़े म्यूजिक कंपोजर्स के साथ मिलकर अमेजिंग सोंग्स बनाए जिसमें हम में है हीरो हम है चलता रहे तेरा मेरा मीलों का यारा आना चलता रहे तेरा मेरा सगोत अपना परिवार है तू इन सोंग्स को क्रिएट किया और इन्हें पब्लिक के लिए इजली फ्री में डाउनलोड करने के लिए प्रोवाइड कर दिया और देखते ही देखते हीरो ने मार्केट में अपनी पकड़ बना ली और 33. 2 मार्केट शेयर के साथ इंडिया में फर्स्ट रैंक पर आ गए और तो और इसी फाइनेंशियल ईयर 20222 में उन्होंने 29 करोड़ का नेट प्रॉफिट किया और साथ में जो उनका इंटरनेशनल मार्केट में एक्सपेंड करने का सपना था उसे पूरा किया आज रो 47 कंट्रीज में अपने प्रोडक्ट्स बेचता है और जर्मनी जैसे डेवलप्ड कंट्रीज में उनके आर एनडी यूनिट्स हैं दोस्तों हीरो के इतने बड़े एंपायर को खड़ा करने वाले ब्रिज मोहन लाल जी आज इस दुनिया में नहीं है अनफॉर्चूनेटली 2015 में उनकी डेथ हो गई लेकिन आज उनकी बदौलत रो के 30000 से भी ज्यादा एंप्लॉयज का घर चलता है